Gorakhpur Siligidi Expressway: भारत सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ाया है. गोरखपुर–सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे, जिसकी लंबाई 519 किलोमीटर होगी, 2028 तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है. यह एक्सप्रेसवे न सिर्फ उत्तर प्रदेश और बिहार को जोड़ेगा, बल्कि पूर्वोत्तर भारत को नेशनल मास्टर एक्सप्रेसवे कॉरिडोर (NMEC) से जोड़ते हुए देश की आर्थिक धुरी को और मजबूत करेगा.

Gorakhpur Siligidi Expressway यात्रा समय में जबरदस्त कमी
अभी तक गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक पहुंचने में लगभग 12–14 घंटे का समय लगता है. लेकिन इस नए एक्सप्रेसवे के बनने के बाद सफर महज 6–7 घंटे में पूरा किया जा सकेगा. यह सड़क न केवल दूरी कम करेगी बल्कि यात्रा को आरामदायक और सुरक्षित भी बनाएगी. खासतौर पर व्यापारियों, ट्रक ड्राइवरों और यात्रियों के लिए यह प्रोजेक्ट गेम-चेंजर साबित होगा.
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कनेक्टिविटी और कारोबार का फायदा
यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के कई जिलों से होकर गुजरेगा और सीधे सिलीगुड़ी कॉरिडोर तक पहुंचेगा, जिसे “चिकन नेक” भी कहा जाता है. यही रास्ता पूर्वोत्तर भारत को बाकी देश से जोड़ता है. इस वजह से न केवल लोगों की आवाजाही आसान होगी बल्कि व्यापार और लॉजिस्टिक्स को भी नई रफ्तार मिलेगी. कृषि उत्पादों और औद्योगिक सामान की ढुलाई तेज़ और किफायती होगी, जिससे स्थानीय किसानों और कारोबारियों की आमदनी बढ़ेगी.
रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम
गोरखपुर–सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे सिर्फ विकास परियोजना नहीं है, बल्कि यह रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. सिलीगुड़ी कॉरिडोर भारत के लिए बेहद संवेदनशील क्षेत्र है और इस इलाके में तेज़ और सुरक्षित कनेक्टिविटी देश की सुरक्षा और आपूर्ति दोनों के लिए जरूरी है. यह सड़क सेना की आवाजाही और सीमा क्षेत्रों तक पहुंच को भी मजबूत करेगी.
भविष्य की तस्वीर
2028 तक जैसे ही यह एक्सप्रेसवे बनकर तैयार होगा, गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक का सफर आसान और सस्ता हो जाएगा. पूर्वोत्तर भारत को दिल्ली और बाकी बड़े शहरों से जोड़ने वाला यह कॉरिडोर पूरे क्षेत्र के विकास, पर्यटन और रोजगार के नए द्वार खोलेगा. यह कहना गलत नहीं होगा कि गोरखपुर–सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे उत्तर भारत और पूर्वोत्तर के बीच एक मजबूत कड़ी बनेगा और आने वाले समय में देश की आर्थिक प्रगति का अहम हिस्सा साबित होगा.