पहाड़ों को रेल से जोड़ने की तैयारी! ऋषिकेश–कर्णप्रयाग हिमालयन रेलवे: पहाड़ों की जीवनरेखा, 2026 तक सफर होगा आसान

Rishikesh karnprayag: उत्तराखंड में पर्यटन और तीर्थाटन की रीढ़ बनने वाला ऋषिकेश–कर्णप्रयाग रेलवे प्रोजेक्ट तेजी से निर्माणाधीन है. लगभग 125 किलोमीटर लंबी इस लाइन का काम ज़ोरों पर है और इसे 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इस परियोजना से चारधाम यात्रा और गढ़वाल क्षेत्र की कनेक्टिविटी को नई दिशा मिलेगी.

Rishikesh karnprayag
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सबसे कठिन चुनौती—सुरंगों का जाल

इस रेलवे लाइन का सबसे बड़ा हिस्सा पहाड़ों के भीतर बनाया जा रहा है. कुल लंबाई 125 km में से करीब 105 km सुरंगों के अंदर से होकर गुजरेगा. यानी यह भारत की सबसे अनोखी और चुनौतीपूर्ण रेल परियोजनाओं में से एक है. कई सुरंगें 15 km से भी लंबी होंगी, जो इंजीनियरिंग का शानदार उदाहरण बनेंगी.

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Rishikesh karnprayag: तीर्थयात्रा और पर्यटन को बढ़ावा

हर साल लाखों श्रद्धालु बद्रीनाथ, केदारनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे धार्मिक स्थलों की यात्रा करते हैं. अभी सड़क मार्ग से सफर लंबा और थकाऊ है. लेकिन रेलवे लाइन तैयार होने के बाद ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक का सफर कुछ घंटों में पूरा किया जा सकेगा. इससे यात्रियों की सुविधा बढ़ेगी और पर्यटन को नई उड़ान मिलेगी.

स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार और राहत

इस प्रोजेक्ट से न सिर्फ तीर्थयात्रियों को फायदा होगा बल्कि स्थानीय जनता के जीवन में भी बदलाव आएगा. पहाड़ों के गांवों को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी, रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे और स्वास्थ्य व शिक्षा सेवाओं तक पहुंच आसान होगी. यह रेलवे लाइन पहाड़ों की अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा डालेगी.

उत्तराखंड के विकास की दिशा

2026 तक यह रेलवे लाइन पूरी होते ही उत्तराखंड का नक्शा बदल जाएगा. यह प्रोजेक्ट न केवल एक परिवहन सुविधा है बल्कि यह राज्य को इकोनॉमिक और टूरिज्म हब के रूप में स्थापित करने का भी साधन बनेगा. जब पहली ट्रेन इन पहाड़ों के बीच से गुज़रेगी तो यह उत्तराखंड के इतिहास का एक सुनहरा अध्याय होगा.

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