Bullet Train Corridor: भारत के रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर में एक और ऐतिहासिक कदम उठाया जा रहा है। अब वाराणसी से लुधियाना के बीच नई बुलेट ट्रेन कॉरिडोर की तैयारी शुरू हो चुकी है। यह हाई-स्पीड रेल लाइन उत्तर भारत के प्रमुख धार्मिक और औद्योगिक शहरों को जोड़ेगी, जिससे यात्रियों को सिर्फ 3 घंटे में दोनों शहरों के बीच का सफर पूरा करने का मौका मिलेगा।

Bullet Train Corridor: 800 किमी लंबा हाई-स्पीड कॉरिडोर
यह नया बुलेट ट्रेन कॉरिडोर लगभग 800 किलोमीटर लंबा होगा और इसमें वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर, लखनऊ, बरेली, अमरोहा, सहारनपुर, अंबाला और लुधियाना जैसे प्रमुख स्टेशन शामिल होंगे। ट्रेन की अधिकतम रफ्तार 320 km/h तक होगी, जिससे यह कॉरिडोर देश के सबसे तेज रूट्स में से एक बन जाएगा।
₹1.25 लाख करोड़ का मेगा प्रोजेक्ट
वाराणसी–लुधियाना बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत ₹1.25 लाख करोड़ बताई जा रही है। इस प्रोजेक्ट को नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) के द्वारा तैयार किया जा रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि इसे 2032 तक पूरी तरह चालू कर दिया जाए। जापान की अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल इस प्रोजेक्ट में किया जाएगा, जिससे सेफ्टी और स्पीड दोनों में सुधार होगा।
हर स्टॉप पर हाई-टेक सुविधाएं
इस बुलेट ट्रेन रूट पर बनने वाले हर स्टेशन को स्मार्ट सिटी इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ तैयार किया जाएगा। यहां यात्रियों के लिए वेटिंग लाउंज, फूड कोर्ट, एस्केलेटर, डिजिटल टिकट सिस्टम और ईवी चार्जिंग स्टेशन्स जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी। साथ ही, ट्रैक के किनारे सोलर एनर्जी पैनल लगाए जाएंगे ताकि ऊर्जा की खपत को कम किया जा सके।
उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार
वाराणसी–लुधियाना बुलेट ट्रेन कॉरिडोर न केवल यात्रियों की सुविधा बढ़ाएगा बल्कि उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था को भी तेज रफ्तार देगा। इससे व्यापार, पर्यटन और इंडस्ट्रियल डेवेलपमेंट को बड़ा फायदा मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में शामिल यह कॉरिडोर आने वाले वर्षों में उत्तर भारत के लिए एक गेम चेंजर साबित होगा, जो विकास और कनेक्टिविटी का नया युग लेकर आएगा।