Dehli Derhradun Expressway: दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे केवल तेज़ रफ्तार और कनेक्टिविटी का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह एक पर्यावरण-केंद्रित इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना भी बन रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत बनाया जा रहा एशिया का सबसे लंबा 14 किलोमीटर वाइल्डलाइफ कोरिडोर जंगली जानवरों और इंसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा. इस कोरिडोर की मदद से हाथी, बाघ, तेंदुआ और अन्य जानवर बिना बाधा के अपने प्राकृतिक आवासों में आ-जा सकेंगे.

Dehli Derhradun Expressway: ग्रीन हाईवे का नया मॉडल
दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे में वाइल्डलाइफ कोरिडोर का डिज़ाइन इस तरह तैयार किया गया है कि यह हाईवे को जंगलों से जोड़ते हुए जानवरों के मूवमेंट को बाधित न करे. ओवरपास और अंडरपास तकनीक का इस्तेमाल करके यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि सड़क और वन्यजीव दोनों का संतुलन बना रहे. इसे देखकर साफ है कि यह प्रोजेक्ट भविष्य में ग्रीन हाईवे डेवलपमेंट का एक नया मॉडल साबित होगा.
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पर्यावरण पर सकारात्मक असर
इस वाइल्डलाइफ कोरिडोर से न केवल जानवरों की सुरक्षा होगी, बल्कि सड़क हादसों में भी कमी आएगी. इससे कार्बन उत्सर्जन कम होगा, वनों का प्राकृतिक संतुलन बना रहेगा और इंसान-जानवर के बीच टकराव की घटनाएं भी घटेंगी. इतना ही नहीं, इस हाईवे पर खास तरह के नॉइज़ बैरियर्स और इको-फ्रेंडली कंस्ट्रक्शन मटेरियल का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि पर्यावरण पर इसका असर न्यूनतम रहे.
सफर होगा और भी रोमांचक
दिल्ली से देहरादून की दूरी जब केवल 2 से 2.5 घंटे में पूरी होगी, तो यह ग्रीन कोरिडोर सफर को और भी रोमांचक बना देगा. हाईवे पर चलते हुए ड्राइवरों और यात्रियों को भी प्राकृतिक नज़ारों का आनंद मिलेगा. यह न केवल एक सड़क बल्कि एक पर्यटन आकर्षण भी बन सकता है.
प्रोजेक्ट की लागत और महत्व
करीब ₹12,000 करोड़ की लागत से बन रहा दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे देश की पहली ऐसी परियोजना होगी जिसमें विकास और पर्यावरण संरक्षण को बराबरी से महत्व दिया गया है. एशिया के सबसे लंबे 14KM वाइल्डलाइफ कोरिडोर का निर्माण इस बात का सबूत है कि भारत तेज़ी से आगे बढ़ते हुए भी अपने पर्यावरण और प्राकृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने की दिशा में काम कर रहा है.